15 अगस्त आने वाला है , फिर से हम लोग
एक दिन के लिए अपने देश प्रेम को दर्शाके अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड लेगे |
सिर्फ कुछ चुनिन्दा मौके पे ही अपने शहीदों को याद करके हम आजादी के प्रति अपने
कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते है | शायद हम ठीक से आजादी का अर्थ भी नहीं समझते |
यह आजादी जो हमें अपने पूर्वजो से विरासत में मिली है
, यह इतनी आसानी से नहीं मिली | आजादी के इस महापर्व में कई महान देश भक्तों की आहुति दी गई
है तब जाकर यह हमें प्राप्त हुई है | आजादी का सही अर्थ वही समझ
सकता है जिसने गुलामी के दिन झेले हों |
आजादी कहने को सिर्फ एक शब्द है लेकिन इसकी भव्यता कोई भी शब्दों में नहीं
बांध सकता | गुलामी का दर्द शायद आज के
युवा समझ ना सकें जो पब में देर रात तक पीने को अपनी आजादी मानते हैं | आजादी जाननी है तो उन लोगों की जिंदगी को महसूस कीजिए जो
आज भी किसी बड़े जमींदार के खेत में गुलामी कर रहे हैं, आजादी का अर्थ उस छोटे बच्चों से जाकर पूछें जो मात्र कुछ
पैसे के लिए अपने बचपन के दिन एक ढाबे पर बिता रहा है |
आज आजादी का मतलब अपने उन्माद में नग्न होकर नाचना भर रह गया है लेकिन शायद ही
कोई उस आजादी को समझ सकता है जिसका मूल्य देश ने भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, सुखदेव, सुभाषचन्द्र बोस आदि के प्राण खोकर चुकाया है | मैं शायद सबके नाम का यहाँ वर्णन ना कर सकू | देश की आजादी की कहानी में शायद ही कोई ऐसा
पन्ना हो जो आंसुओं से होकर ना गुजरा हो | झांसी की रानी से गांधी जी के असहयोग आंदोलन तक की मेहनत के बाद हमें आजादी
प्राप्त हुई तो चलिए आज इस आजादी की कहानी पर एक नजर डालते है |
सदियों से ही भारत विश्व का अग्रणी देश रहा था | इसकी महत्ता , विद्वता , ज्ञान
, सम्रद्धि , संस्कृति तथा सभ्यता का लोहा शुरू से ही पूरी दुनिया मानती रही है | नालंदा तथा तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयो की वजह से हम विश्वगुरु के
रूप में विख्यात थे | जिस सिकंदर ने पूरी दुनिया जीत ली थी
उसके घुटने भी भारत में ही आके टिके | जिस चंगेज खान ने पूरी दुनिया
में अपना आतंक कायम कर रखा था उसकी भी दाल यहाँ नहीं गली | विश्व के सर्वाधिक कुशल शासक
जैसे कि चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य , अशोक आदि की कर्मभूमि भी भारत ही रहा है | संसार की प्राचीनतम सभ्यताओं में भी सबसे
प्राचीन सभ्यता हमारी मानी जाती है |
इकबाल जी ने क्या खूब कहा है :
यूनान मिश्र रोमा मिट गए जहा से,
कुछ बात है की हस्ती मिटटी नहीं हमारी ,
सदियों रहा है दुश्मन दौरें जहा हमारा | |
शायद इसी सम्रद्धि तथा ऐश्वर्य की वजह से कई विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत की
तरफ रुख किया , जिसमे से कुछ ने भारत को ही अपना घर बना लिया , जिसमे से मुग़ल
प्रमुख थे और उन्होंने इस देश को अपनाकर इससे प्यार भी किया | लेकिन उसके बाद आये अंग्रजो ने
भारत को सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए ही उपयोग किया | अंग्रेजो की स्वार्थपूर्ण
नीतियों तथा शोषण की वजह से हम अपनी पुरातन महान संस्कृति को भूलकर एक अंधेर युग
में चले गए | एक
अंधेर युग – गुलामी का युग | लेकिन हर अँधेरे के बाद सवेरा आता है , लेकिन इस आजादी के सवेरे को पाने
के लिए हमारे पूर्वजो को कठिन संघर्ष करना पड़ा | उनको इस आजादी के सवेरे को पाने
के लिए आजादी का संग्राम लड़ना पड़ा |
आजादी
का संग्राम जो 1857 से शुरू हुआ जो तथा 1947 तक चला
सन 1857 के प्रथम
स्वतंत्रता संग्राम के महायज्ञ का प्रारम्भ , मंगल पांडे , झांसी की रानी , नाना साहेब ,
कुंवर सिंह ने किया और अपने प्राणों को भारत माता पर न्यौछावर किया | देखते ही देखते यह चिंगारी एक महासंग्राम
में बदल गयी जिसमें पूरा देश कूद पड़ा | दुर्भाग्य से सैन्य
रूप से बहुत ज्यादा सशक्त अंग्रेजो की शक्ति तथा कुछ गद्दारों की वजह से सफलता
हमसे दूर रह गयी |
इसी आजादी के संग्राम को आगे
बढ़ाते हुए तिलक ने ‘स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है’ का सिंहनाद किया | चन्द्रशेखर आजाद ने अपना धर्म ही आजादी को बताया | भगतसिंह ने देशवासियों में अपने
बलिदान से देशभक्ति की जो लौ पैदा की वह अद्भुत है | ईंट का जवाब पत्थर से देने की
क्रांतिकारियों की ख्वाहिश का सम्मान यह देश हमेशा करेगा |
देश को गर्व है कि उसके इतिहास में भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरू , अशफाक उल्ला खान , पंडित बिस्मिल और असंख्य ऐसे युवा हुए
जिन्होंने अपने प्राणों को भारतमाता के लिए हंसते-हंसते न्यौछावर कर दिया |
देश के आजादी के संघर्ष में सुभाष चन्द्र बोस के नाम लिए बिना आप
आजादी के संघर्ष को पूर्ण नहीं कर सकते | सुभाष चन्द्र बोस एक आम भारतीय
ही थे | उच्च शिक्षा प्राप्त और अच्छे उज्जवल कॅरियर को
त्याग देश के इस महान आजादी के नायक ने ने
दर-दर भटक कर देश की आजादी के लिए प्रयास किए | इसी कड़ी में उन्होंने “आजाद हिन्द फौज” की स्थापना की जो निर्विवाद रूप से
देश की सबसे ताकतवर सेना मानी जाती थी | आजादी के लिए जो सुभाष चन्द बोस जी ने कहा था
वह आज भी हमें देशभक्ति से ओत-प्रोत करता है:
“स्वतंत्रता संग्राम के मेरे साथियों ! स्वतंत्रता
बलिदान चाहती है | आप ने आजादी के लिए बहुत त्याग किए हैं,
किंतु अपनी जान की आहुति अभी बाकी है | मैं आप
सबसे एक चीज मांगता हूं और वह है खून | दुश्मन ने हमारा जो
खून बहाया है, उसका बदला सिर्फ खून से ही चुकाया जा सकता है
| इसलिए तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी
दूंगा |”
इसी दौरान गाँधी जी का अहिंसक संघर्ष भी चल रहा था जिससे की देश की
आम शान्ति पूर्ण जनता ने तहे दिल से अपनाया |
आज आजाद भारत में अगर स्वतंत्रता का सारा श्रेय किसी को जाता है तो वह हैं गांधी जी | महात्मा गांधी को यूं तो किसी परिचय की मोहताज नहीं लेकिन यह राष्ट्र
उन्हें राष्ट्रपिता के रूप में जानता है | “राष्ट्रपिता” नाम से क्यों इस शख्स को ही विभूषित
किया गया इसका जवाब जानने के लिए आपको एक बार फिर आजादी का असली मूल्य समझना होगा | गांधीजी ने दुनिया को अंहिसा और
असहयोग नाम के दो महा अस्त्र दिए |
‘अहिंसा’ और ‘असहयोग’ लेकर ग़ुलामी की जंज़ीरों को तोड़ने के लिए महात्मा गांधी, ‘लौह पुरुष’ सरदार पटेल, चाचा
नेहरू, बाल गंगाधर तिलक जैसे महापुरुषों ने कमर कस ली | 90 वर्षों
के लंबे संघर्ष के बाद 15 अगस्त, 1947 को ‘भारत को स्वतंत्रता’ का वरदान मिला |
15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता तो मिली लेकिन दुर्भाग्य
से अंग्रेजो की चालबाजी तथा हमारे ही कुछ महान तथाकथित नेताओ की स्वार्थपरता के
कारण देश के दो टुकड़े हो गए जिसका दंश आज भी देश को गाहे बगाहे समय समय पर चुभता
रहता है |
तब से हम आजाद है , यह आजादी शायद हमें इतनी मोहक ना
लगे क्यूकि हमें ये बिना संघर्ष के मिली है | लेकिन इसका बहुत महत्त्व है | इसको समझने के लिए सर्वप्रथम
हमें आजादी का मतलब समझना होगा | आजादी का मतलब सिर्फ खुले आप बिना रोक टोक के घूमना , पार्टी करना ही
नहीं है |
आजादी का अर्थ है - विकास के पथ पर आगे बढकर देश और समाज को ऐसी दिशा देना, जिससे हमारे देश की संस्कृति की सोंधी खुशबू चारों ओर फैल
सके | लेकिन आज हमारी युवा पीढ़ी आजादी के सही मायने भूलती जा
रही है | युवा लोग पाश्चात्य संस्कृति से अत्यधिक प्रभावित
हो रहे हैं | आज हमें अपनी आजादी का सदुपयोग करते हुए समाज
और देश को विकास के पथ पर ले जाना चाहिए |
किसी भी देश के विकास के लिए , प्रगति के लिए बहुत जरूरी है की उस
देश में ऐसा माहौल हो जिससे की वह के नागरिको को सोचने तथा अपनी सोच के कार्यान्वन
की आजादी हो |
लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि हम अपने पूर्वजो द्वारा किये गए संघर्ष तथा बलिदान द्वारा मिली हुई इस आजादी का क्या कर रहे है | क्या हम उनके उन्ही सपनो को
साकार कर रहे है जिसकी सोचके उन्होंने हर संभव बलिदान दिया | क्या हम अपने कर्तव्यों का ठीक
से निर्वाह कर रहे है |
क्या आज भी हम उतने ही महान है जैसा की हम कुछ सदियों पहले थे | अपनी खोयी हुई साख को पाने तथा
फिर से भारत की महानता की नींव रखने के लिए हमारे पुरखो ने हमें आजादी की सौगात
दी लेकिन क्या हम अपने पूर्वजो के सपनो का
अनुसरण कर रहे है |
शायद नहीं | आज शायद हम
उतने महान नहीं है , जितने की हम सदियों
पहले थे , जिसका वर्णन मेने कुछ समय पहले किया | अगर हम इतनी ही महान है तो
क्यों नहीं आज हम विश्व गुरु है , क्यों आज भी हमारे देश की जनसँख्या का बड़ा
हिस्सा आज खुले आसमान में भूखे पेट रात बिताने को मजबूर है | क्यों हमारे देश को चलाने वालो में , देश की
नीति निर्धारण करने वालो में अपराधियों की पहुँच
है |
मैं ये सब इसलिए कह रहा हूँ
क्यूकि हम ही है जो इस व्यवस्था को बदल सकते है , हम ही इस देश के कर्णधार हो ,
भविष्य हैं | हम चाहे तो आज भी हम अपनी पुरानी
पदवी को प्राप्त कर सकते है | हममे वो काबिलियत है , बस जज्बे की कमी है | किसी भी युग में , किसी भी काल
में , अगर कोई भी देश या समाज अगर महान रहा है , अग्रणी रहा है तो इस वजह से की उस
देश की किसी भी एक पीढ़ी ने बेजोड़ मेहनत की होती है | जैसा की प्राचीन समय में हमारे पूर्वजो ने की
थी , या वर्तमान परिपेक्ष्य में यूरोप के
देशो ने अपने जागरण युग में की थी |
अमेरिका आज आगे है क्यों , क्यूकि आजादी के बाद वह के लोगो ने बहुत
मेहनत की | चीन हमसे
आगे निकलता जा रहा है तथा विश्व में अग्रणी देश बनने की होड़ में अमेरिका को टक्कर दे रहा , क्यों , क्यूकि 1950
के बाद वहाँ के लोगो ने हमसे ज्यादा मेहनत
की है | 2008 में हुए बीजिंग ओलिंपिक की तयारी चीन ने 15 साल
पहले से ही शुरू की थी जिसका फल उसे उस साल ओलिंपिक पदक तालिका में अव्वल आके मिला
|
मेरे कहने का आशय है की हम लोगो लो भी बहुत मेहनत करने की जरुरत है | अच्छे व जिम्मेदार नागरिक बनने
की | कहने का मतलब है जो भी करो अच्छे से करो जिससे की देश
का, समाज का सकारात्मक निर्माण हो |
इस सबके साथ साथ मैं ये भी कहना चाहूगा की हमें अपने में नैतिकता का विकास करना होगा , सहनशक्ति का विकास करना होगा , अपने में प्रेम , करुणा , दया ,क्षमा जैसे
उदात्त भावो का विकास करना होगा | यह सब उदात्त भाव ही किसी किसी समाज की सम्रद्धि तथा शान्ति की नींव रखते
है |
अगर हम सभी उपर्युक्त कथनों
का अनुसरण करते है , तथा एक अच्छे नागरिक बनके इस देश की समस्याओं को ख़त्म करने
में अपना योगदान देते है , तो शायद आने वाले कुछ वर्षो में हम फिर से विश्वगुरु
होगे , एक अग्रणी समाज होगे , अग्रणी से
साथ साथ एक ऐसे आदर्श समाज का निर्माण कर पायेगे जिसकी नीव नैतिकता , प्रेम ,
करुणा जैसे उदात भावो पर होगी | अगर हम ये सब करने में कुछ योगदान कर पाएं तभी शायद हम अपने को मिली इस
आजादी के साथ न्याय कर पायेगे | और यही हमारे शहीदों के लिए सच्ची श्रदांजलि होगी |
जय हिन्द जय भारत !!
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